देखते देखते कॉलेज भी पूरा हो गया, अब एक अच्छी सी नौकरी की तलाश थी | आगे अभी और पढ़ना था पर सोचा की जब तक एम बी ए की पढ़ाई शरू नहीं होती क्यों ना कोई नौकरी ढूंढ ली जाये | थोड़ा पॉकेट मनी का काम हो जायेगा |
किस्मत अच्छी थी ४ - ५ दिनों की खोज मैं एक नौकरी मिल गयी|
मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, मैं वहा टाइम से पहुंच गयी | वहा कोई भी नहीं था और वो ऑफिस ही २ कमरों का था ,पहले सोचा की वापस जाती हूँ फिर लगा की आयी हूँ तो देखती हूँ क्या होता है |
इंटरव्यू स्टार्ट हुआ ,एक सर आये और उन्होंने बताया की मेरा ही यह ऑफिस है और मैं अकेले ही काम करता हूँ एक हेल्पर है जो पेपर प्रिंट वगेरा करता है ,पर मुझे कोई पढ़ा लिखा चाहिए जो इंग्लिश में मेल वगेरा कर सके |
मैंने बोला की हाँ वो तो मैं कर सकती हूँ फिर बोले की सैलरी ज्यादा नहीं होगी क्यूंकि अभी ही ऑफिस स्टार्ट किया है पर ऑफिस में अगर काम ख़तम तो तुम किसी टाइम भी जा सकती हो ,जरुरी नहीं की पूरा ८ घंटा ही दो |
जब भी काम ख़तम तुम घर के लिए जा सकती हो और अगर तुमने कुछ नहीं डीलर कंपनी में ऐड किये तो उश्के लिए इंसेंटिव मिलेगा ,कुछ हज़ार रुपये |
मैंने सोचा की जबतक कुछ नहीं मिलता यहाँ काम कर लेती हूँ कुछ सिखने को ही मिलेगा | और मैंने ज्वाइन करने के लिए बोल दिया |
अगले दिन से मैंने वहा काम करना शरू कर दिया , वहा काम का कोई प्रेशर नहीं था बस एक ही कमी थी की वहा कोई बात करने वाला नहीं था बाकि सब सही था|
ऐसे ही १ महीना निकल गया और मुझे इंतज़ार था अपनी सैलरी का , मुझे क्या यह इंतज़ार तो सबको होता है खुद की सैलरी का |
पर यह क्या सर ने बोला की सैलरी में थोड़ा डिले होगा और कॅश में देंगे क्यूंकि अभी कंपनी छोटी है तो इतना काम धाम नहीं किया है अकाउंट वगेरा बनाने का ,कुछ टाइम में बना देंगे अकाउंट |
मैंने कुछ नहीं कहा बस यह लगा अरे सैलरी मिल जाती तो अच्छा होता, फिर ऐसे ही कुछ दिन निकल गए |
शायद ४ दिन निकल गए थे सर ने मुझे बुलाया और बोला यह लो तुम्हारी पिछले महीने की सैलरी ,मैं बहुत खुश हो गयी |
सर ने रजिस्टर दिया और बोला यहाँ हस्तासर कर दो की तुमने सैलरी रिसीव कर ली है , मैं सिग्नेचर करने लगी सर ने बोला अरे पहले चेक तो कर लो ,मैंने फटाफट लिफाफे से रुपये निकाले और गिनने लगी ७ हज़ार , ८ हज़ार अरे यह तो ८ हज़ार से ज्यादा है सर ?
हा हा हाँ सर मुस्कुराये बोले यह १५ हज़ार है इंसेंटिव मिला कर |
मेरी खुशी का टिकना नहीं था क्या १५ हज़ार रुपये, मैं बहुत खुश थी | थैंक यू सर बोलकर मैं वहा से चली गयी |
घर पहुंच कर मैंने अपनी सैलरी को अच्छे से देखा और फिर से गिना |
पुरे १५ हज़ार थे वो पुरे १५ हज़ार |
मेरी पहले सैलरी और वो १५ हज़ार रुपये |
Very nice.. short and sweet story
ReplyDeleteThanks Deepa
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