मीडिया वाले भी लाइन से खड़े थे,यह सब देख कर सुमित की सात साल पहले की बात याद आगयी।
सुमित ने मुझसे कहा था की बस कुछ साल की मेहनत है और मेरा पूरा सपोर्ट चाहिए क्यूंकि शायद यह साल मैं तुम्हे वक़्त कम दू या कभी कभी मैं इतना बिजी रहू की बहुत सी चीज़े भूल जाऊ , बस तुम्हारे साथ की जरुरत है।
मैंने भी एकदम से बोला मेरा साथ हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा और वक़्त न दे पाओ तब भी मैं तुम्हारे साथ ही खड़ी होंगी जैसे मैं शादी से पहले थी।
जब हमारी शादी नहीं हुए थी तब मेरे सब दोस्त जिनका अफेयर था रोज़ अपने साथी के साथ बहार घूमते थे , तब मैं सुमित से बहुत गुस्सा होती थी की तुम मुझे टाइम नहीं देते , मेरे साथ टाइम नहीं बिताते।
और सुमित बस यही बोलते थे की मुझे कुछ साल दो फिर जिंदगी भर साथ में आराम से घूमेंगे।
सुमित बोलते थे की मैं कुछ बनना चाहता हूँ जिससे मैं घर वालो और तुम्हारे सारे इच्छाएं पूरी कर सकू। उस टाइम भी मैंने सुमित की बात में सहमति दी थी और पूरा साथ दिया , जिसकी वजह से वो एक अच्छी पोस्ट क्लियर कर सके और लाइफ में बहुत से अच्छे बदलाव आगये।
शादी के बाद भी वैसे ही सुमित ने फिर से मुझसे मेरा साथ माँगा तो उसकी बातों से तो सहमत होना ही था। आज ७ साल बाद वो दिन आ गया,जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार था । इतने साल मे मैंने भी “ स्त्री और परिवार “ पर एक किताब लिख चुकी थी और आज हमारे जीवन का यह बहुत ही महेतुपूण दिन था।
आज ही सुमित को सक्सेसफुल बुसिनेसस्मेन का अवार्ड मिलने वाला था और आज ही मेरी भी खुद की लिखी बुक छपने वाली थी, मानो सारी इच्छाएं आज पूरी हो गयी हो |
सुमित पहले से ही समारोह में पहुंच चुके थे मैं और बच्चे बाद में जाने वाले थे। हम लोग भी समारोह के समय तक पहुंच गए थे सब लोग हमसे मिल रहे थे एक अलग सी खुशी थी इसमें। दिल की धड़कन भी तेज़ रफ्ता से बढ़ रही थी |
सुमित को मंच में बुलाया गया उन्होंने कुछ अपने बारे में बताया कुछ हम सबके साथ के बारे में , फिर सुमित ने मुझे भी मंच में बुलाया और बताया की मैंने उनका किस तरह साथ दिया इतने सालो में।
सुमित ने मेरी लिखी हुए बुक को बहुत गर्व के साथ लांच किया , फिर मेरी तरफ देख मुस्कुराने लगे मैंने इशारो से पूछा क्या हुआ ?
वो आये मेरी तरफ और मेरे कान में धीरे से बोले — पहन लिया न तुमने यह लाल गाउन....कर दी ना मैंने तुम्हारी इच्छा पूरी ?
मैं मुस्कुरायी और धीरे से बोली — यकीन था मुझे की तुम यह दिन जरूर लाओगे तभी तो साथ दे रही थी हर पल।
इतने साल बाद भी आज भी वही प्यार दिख रहा था हमे एकदूसरे के आँखों में।
जिस तरह हर पति पत्नी मिलकर सपने सजाते है उसी तरह मैंने और सुमित ने भी सपने सजाये थे सात साल पहले यहाँ तक की हमने तो क्या ड्रेस पहनेंगे यह भी सोच रखा था , सुमित होंगे ब्लैक सूट में और मैं रेड गाउन में जिसके एक शोल्डर पर बड़ा सा गुलाब बनाया होगा डिज़ाइन और अगर बच्चे होंगे तो वो भी शामे ड्रेस में ही होंगे।
आज वो सपना पूरा हो गया , यह सब देख दिल बहुत खुश है। जैसा सोचा था वैसा ही हुआ।
अंजू अंजू की अचनाक से आवाज आयी — कब से तुम्हारा फ़ोन बज रहा है इतनी गहरी नींद में क्या सपना देख रही थी सुमित ने पूछा , मैं मुस्कुरायी और बोली वही अपना रेड गाउन।
सुमित समझ गए और वो भी मुस्कुरा दिए।
पोस्ट पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया , कृपया कमेंट करके बताये कैसी लगी यह कहानी आपको |
आपकी दोस्त
अंजू खुल्बे सक्सेना
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