डॉक्टर ने १२ अगस्त की तारीक दी थी तो १२ तारीख का बेसब्री से इंतज़ार था सब तैयारी कर ली थी।
१२ तारीक आयी और चली गयी पर कुछ नहीं हुआ १३ भी गयी और १४ तारीक आ गयी मैं शाम को अपनी सासु माँ के साथ शॉपिंग पर निकल गयी।
शॉपिंग करते हुए ही मुझे डॉक्टर का फ़ोन आया की आपकी डिलीवरी डेट १२ थी पर आज १४ हो गयी है आपको आज एडमिट होना पड़ेगा हम आज आपको पैन इन्दुस करेंगे।
अचानक से यह सुन थोड़ा मैं घबरा सी गयी पर डिलीवरी तो होनी ही थी।
हम शॉपिंग से वापस घर पहुंचे, खाना वगेरा सब निपटा के मैं और सुमित हॉस्पिटल की तरफ चल दिए।
हॉस्पिटल पहुंचे सब फॉर्मलिटीज कर एडमिट हो गयी , नर्स आयी और मुझे कुछ इन्दुस के इंजेक्शन लगाके बोलने लगी की अभी आराम कर लो कल का दिन बहुत लम्बा जायेगा।
पर मुझे नींद ही नहीं आयी कुछ दर्द में ही मुझे पेट में दर्द होने लगा , डॉक्टर को बताया तो वो बोली आपका delivery का टाइम आ गया है।
और मुझे डिलीवरी रूम की तरफ ले गए।
दिल डर भी रहा था और बेबी आने की ख़ुशी भी थी।
बस फिर क्या टाइम ऐसे भगा और मेरा दर्द बढ़ता रहा बढ़ता रहा।
शरीर के हर हिस्से में दर्द जो बर्दाश्त नहीं हो सकता पर जाने कैसे बर्दाश्त हो जाता है।
इसी डर के माहोल में एक प्यारी सी रोने की आवाज आयी।।
मेरी बेटी की वो सबसे पहेली आवाज , शायद एक यही टाइम होता है जब माँ अपने बच्चे को रोता देख दिल सी तस्सली महसूस करती होगी।
मैं तो बस उस आवाज के बाद उसको गले लगाने का इंतज़ार करती रही।
बहुत खुश थी मैं क्यूंकि आज मैं भगवान का दिया हुआ सबसे बड़े दर्जे का हिस्सा हो गयी थी।
आज मैं माँ बन गयी थी।
पोस्ट पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया , कृपया कमेंट करके बताये कैसी लगी यह कहानी आपको |
आपकी दोस्त
अंजू खुल्बे सक्सेना
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