यह कहानी तब की है जब मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर के बारे में सुनने को मिल रहा था,लैंडलाइन का जमाना था वो |
मोबाइल होना तो एक सपने जैसा था उसी तरह तब कंप्यूटर चर्चा में था की कंप्यूटर में हम सब कुछ कर सकते है, कंप्यूटर में हम टाइपिंग ड्राइंग, इंटरनेट सर्फिंग और मूवीज या सांग्स भी सुन और देख सकते है या तो नेट पर या सी डी लगा कर |
उस समय यह सुनना ही बहुत चौकाने वाली बात थी की ऐसा भी हो सकता है एक कंप्यूटर पर हम इतना कुछ कर सकते है |
हमे तो बस ऊपर ऊपर की बात ही पता थी यह तो पता ही नहीं था की कंप्यूटर इससे भी ज्यादा बहुत कुछ कर सकता है |
हर तरफ से कंप्यूटर की ही बातें होती थी हमारे स्कूल में कंप्यूटर की क्लास भी स्टार्ट हो गयी थी, उस क्लास मैं हम सब बच्चे कंप्यूटर पर कलरिंग करते थे |
सबको कंप्यूटर बड़ा पसंद आने लगा था और आये भी क्यों नहीं एक कंप्यूटर के इतने फायदे भी तो थे |
मैंने भी कंप्यूटर लेने की बात अपने पापा के सामने रखी, उनको बोला की कंप्यूटर से मैं घर पर ही पढ़ लुंगी, टाइपिंग की भी प्रैक्टिस करूंगी |
पापा ने बोला ठीक है पता करता हूँ अगर इतना ही जरुरी है मुझे कंप्यूटर लेना |
हम माध्यम वर्ग परिवार से थे तो जब पापा ने कंप्यूटर कितने का मिलता है पता किया तो वो पापा के बजट से बाहर था, पर कहते है ना मम्मी पापा से बच्चे कुछ भी मांग लेते है और मम्मी पापा चाहे वो उनके बजट में हो या ना हो ,बेहिचक ला देते है कुछ भी करके |
ऐसे ही मेरे पापा ने भी सोचा की लाना तो है अब घर में कंप्यूटर पर इतना महंगा है तो क्या किया जाये |
पापा ने कई दुकानों में पता किया पर नए कंप्यूटर का मोल बहुत ही ज्यादा था | पापा मुझे उदास भी नहीं देख सकते थे तो वो भी पता करने में लगे हुए थे |
कुछ दिनों बाद एक कंप्यूटर शॉप ने पापा को बोला की आप अस्सेम्ब्ले करा लीजिये कंप्यूटर वो आपके बजट में आ जायेगा |
पापा को पहले समझ नहीं आया फिर किसी और जगह से पता किया तो उन्होंने सोचा की ठीक है नए से ज्यादा अभी प्रैक्टिस के लिए असेम्ब्ले वाला कंप्यूटर ही लेता हूँ , वैसे असेम्ब्ले वाला कंप्यूटर भी बजट में नहीं था पर नए कंप्यूटर के मुकाबले वो आधे से काम दाम में था |
पापा ने एक कंप्यूटर वाले हो आर्डर दे दिया और मुझे घर आकर बताया की उन्होंने आज आर्डर दे दिया है १० दिन बाद मिलेगा |
मैं बहुत खुश हो गयी ऐसा लग रहा था की अब मैं बहुत अच्छे से पढ़ाई करुँगी हालांकि पढ़ाई का इससे कोई मतलब नहीं था
जैसे तैसे १० दिन बीत गए, आज कंप्यूटर घर आने वाला था सुबह से ही एक ख़ुशी सी थी | इन्तज़ार करते करते सुबह के ११ से ३ बज गए तब जाकर मेरा पहले कंप्यूटर घर आया, उसको देख मैं बहुत खुश हो गयी |
कंप्यूटर वाले भैया ने अच्छे से कंप्यूटर को टेबल पर फिट किया सब पार्ट अच्छे से जॉइंट किये अभी तो लैपटॉप होता है बस जहा चाहो साथ ले जाओ ,कंप्यूटर में ऐसा नहीं हो सकता था कंप्यूटर तो खुद मॉनिटर ,सी पि यू और कीबोर्ड की एक जॉइंट फॅमिली है, और तो और कंप्यूटर के साथ तब वोल्टेज का बॉक्स भी लगाते थे ताकि लाइट अगर ऊपर नीचे हो तो कंप्यूटर काम करते टाइम बंद ना हो जाये |
कंप्यूटर वाले भैया ने कंप्यूटर लगा दिया था और वो बता रहे थे इसमें यह है यहाँ से ओपन करना, जो भी बेसिक चीज़े थी वायर जॉइंट करने से कंप्यूटर में एप्लीकेशन ओपन करने तक की सारी स्टेप मैंने पॉइंट तो पॉइंट एक पेपर में लिख दिए थे |
अब बारी थी मेरी कंप्यूटर ऑन करने की , मम्मी ने कंप्यूटर को टिका लगाया और कंप्यूटर में स्वस्तिक बनाया फिर मैंने भी सबसे पहले वो एप्लीकेशन ओपन की जिसमे आप इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भगवान जी की पूजा कर सकते है, एक बटन दबाओ भगवान जी पर fool बरसने लगते या दिया जलता था | मुझे तो आज भी वो याद है शायद आप लोग जो इस कहानी को पढ़ रहे हो उन्होंने भी ऐसा किया या देखा होगा |
आज भी मुझे मेरा पहला कंप्यूटर याद है शायद इसलिए क्यूंकि पहेली चीज़े हमेशा याद रहती है |
पोस्ट पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया , कृपया कमेंट करके बताये कैसी लगी यह कहानी आपको |
आपकी दोस्त
अंजू खुल्बे सक्सेना
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