जितना अच्छा घर उतना ही आजकल दहेज़ भी देना पड़ेगा|
इतना पैसा पढ़ाई में क्यों खर्च करना , कुछ घर के काम सिखाओ वही ससुराल में काम आएंगे |
ऐसी बातें श्याम को रोज़ सुन्नी पढ़ती थी , शायद यह बातें हर बेटी के पिता ने जरूर सुनी होगी |
बेटी का जनम हुआ नहीं की आसपास के लोग या रिश्तेदार उसके दहेज़ का सोचना शरू कर देते है |
बेटी की पढ़ाई, उसका स्वास्थ या उसका भविष्य कैसा होना है यह नहीं सोचता कोई |
श्याम के साथ साथ यह बातें हर वक़्त उसकी बेटी रिया को भी सुनाई देती थी ,एक डर था उसको की यह शादी ही क्यों करनी जिसमे रिश्तो को किसी सामान या पैसो से पक्का किया जाता है |
पर माँ बाप के संस्कारों के कारण वो कभी भी किसी से न ऊंची आवाज में बात करती थी न ही कभी किसी का अपमान करती थी |
धीरे धीरे श्याम ने भी रिया के लिए रिश्ते देखने शुरू कर दिए और देखते ही देखते उनको एक अच्छा रिश्ता मिल गया |
लड़के वाले घर पर रिया को देखने आये रिया उनको बहुत पसंद आगयी |
बात पक्की हो गयी सबने एक दूसरे से पूछा किसी को कुछ कहना है वो अभी बोल दे ताकी सारे बातें पहले ही साफ़ रहे |
सबने कहा नहीं हमे कुछ नहीं कहना तभी रिया ने बोला , मुझे अपनी तरफ से एक बात रखनी है - सब हैरान की ऐसा क्या बोलने वाली है रिया ,सबने बोलै की हाँ रिया बोलो क्या चाहती हो तुम ?
सास बोल पड़ी क्या शादी के बाद भी नौकरी करना चाहती हो ? अरे हम खुले विचारो के है हमे कोई परेशानी नहीं |
रिया बोली - शुक्रिया आंटी जी हाँ मैं शादी के बाद नौकरी करना चाहूंगी ,मेरे पापा ने मुझे अपने पैरों में खड़ा होना सिखाया है और काबिल बनाया है पर मैं आपसे यह बात नहीं कहना चाहती हूँ |
सबने फिर से बोला हाँ बोलो |
तब रिया बोली की मैं शादी करुँगी पर शादी में कोई दहेज़ या कुछ भी पैसो का लेनदेन नहीं होगा |
हम जब रिश्ता दो परिवारों में जोड़ते है तो उसको जोड़ने ke लिए यह लेनदेन इतना जरुरी क्यों ?
क्या हम दो परिवारों का रिश्ता प्यार और इज़्ज़त से नहीं जोड़ सकते |
सब लोग रिया की बात सुन हैरान थे |
लड़के वालो ने यह बात सुनकर थोड़ा सोचने का वक़्त माँगा (शायद उनके लिए यह हैरान करने वाली बात थी ) पर एक श्याम को अपनी बेटी पर गर्व हो रहा था |
और यह जरुरी भी है कब तक यह दहेज़ के बंधन में बधे रहेंगे | इस दहेज़ प्रथा ने कितनो का जीवन बर्बाद किया है |
अब वक़्त है यह दहेज़ प्रथा से आज़ादी पाने का ||
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