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मैं और मेरी तन्हाई..!!

मैं अकेले रह गई, तो साथ थी मेरे ,
मैं दुःखी रही , तो साथ थी मेरे। 

मैं भी कितनी ना समझ थी ,
ख़ुशी पाकर छोड़ दिया उसे 

जब तक साथ था कोई ,तो भूल गई उसे 
वो रही हमेशा साथ , उसकी कोई परवाह नहीं थी मुझे। 

ये भी ना सोचा हमेशा साथ थी वो मेरे ,
ख़ुशी पाकर पागल सी हो गई थी। 

पर कब तक रहती है पास ख़ुशी ,
फिर अँधेरा हुआ और रह गई मैं अकेली। 

पर ये क्या अभी भी यह साथ है मेरे 
आज फिर से हम रह गए अकेले ,
मैं और सिर्फ मेरी तन्हाई। 

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