माँ बनने के बाद के सब पल यादगार ही होते है, हर माँ के लिए वो पल किसी अनमोल यादो से कम नहीं होते है |
ऐसी ही कुछ यादो के पल मेरे भी है वो पहले पल जो आज भी अगर सोचने बैठ जाऊ तो मेरा मन खुश हो जाता है |
शादी को तीन साल हो चुके थे पर अभी तक भगवान ने मुझे माँ बनने के ताज से सवारा नहीं था |
मेरे साथ के ज्यादातर लोगो के बच्चे हो गए थे या होने वाले थे, मुझे अंदर से बहुत दुःख होता था एक अलग सा एहसास की मुझे यह ख़ुशी क्यों नहीं मिल रही |
मैं अपने साथ के लोगो के बच्चो के साथ ही पूरा दिन बिताती थी बच्चो के साथ एक सुकून सा मिलता था मुझे , खुद का बच्चा नहीं होने की कमी नहीं लगती थी मुझे |
पर कहते है न की भगवान के घर देर है पर अँधेर नहीं ||
हर महीने मैं उम्मीद रखती की इस बार तो मुझे ही ख़ुशीखबर मिलेगी पर दिल टूट जाता |
कितनी बार तो मैंने घर पर ही प्रेगनेंसी टेस्ट भी किये की क्या पता इसमें वो डबल लाइन दिख जाये पर इतने साल से कुछ नहीं हुआ| फिर भी हर महीने उम्मीद लगाए रखती थी क्या करे दिल मानता ही नहीं था |
एक दिन मुझे अपनी तबियत थोड़ा ठीक नहीं लगी, फिर मैंने सोचा क्यों न प्रेगनेंसी टेस्ट कर लू उम्मीद काम थी पर दिल में एक आशा थी |
मैंने फटाफट टेस्ट किया और रिजल्ट का इंतज़ार करने लगी |
जब मैं देखने गयी की क्या निकला तो दिल मेरा बहुत तेज़ घबरा रहा था पर यह क्या ? पहेली बार मेरे टेस्ट में वो डबल लाइन मुझे दिखने लगी |
हालाँकि मुझे वो पहले १ साल से दिखती थी (मन का ) इस बार तो पक्का वाली लाइन्स थी | तुरंत डॉक्टर को मैंने सब बताया, डॉक्टर बोली की ब्लड टेस्ट करा लेते है | मैंने इनको बताया भी नहीं सीधे ब्लड टेस्ट के लिए चली गयी |
बस अब डॉक्टर के फ़ोन का इंतज़ार था |
इंटरनेट से पता नहीं क्या क्या पढ़ लिया था फालसे प्रेगनेंसी, रॉंग डिटेक्शन न जाने क्या क्या |
करीब ५ घंटे बाद मुझे डॉक्टर का फ़ोन आया की अंजू , बधाई हो तुम प्रेग्नेंट हो, वो खुश कोई भी माँ बता नहीं सकती बस दिल से महसूस कर सकती है |
मेरा दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था एक अलग सी ख़ुशी थी | मैंने उसके बाद ही सुमित को बताया वो १ हफ्ते के लिए आउट ऑफ़ सिटी गए थे | पहले तो सुमित ने विश्वास नहीं किया क्यूंकि मैं हर महीने ही ऐसा बोल देती थी की डबल लाइन्स आयी है , पर मैंने उनको अपनी रिपोर्ट ईमेल की |
सुमित की भी खुश एक अलग तरीके की थी उन्होंने बोला की उनको मुझे गले लगाना है पर कैसे तो बोले मैं आज शाम की फ्लाइट से ही आता हूँ | वो डबल लाइन्स की ख़ुशी अलग ही होती है हर माँ बाप के लिए ||
पोस्ट पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया , कृपया कमेंट करके बताये कैसी लगी यह कहानी आपको |
आपकी दोस्त
अंजू खुल्बे सक्सेना
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