हर माँ इंतज़ार करती है उस अनमोल पल का की बच्चा उसको अपनी प्यारी सी आवाज मे माँ कहकर बुलाये चाहे वो मम हो, मम्मी हो या माँ हो।
कितना अद्भुत होता है वो पल भी , हम बच्चे के होते ही माँ तो बन जाते है पर उस बच्चे के मुँह से माँ सुनने के लिए हमे कुछ महीने इंतज़ार करना पढता है | किसी का इंतज़ार ज्यादा होता है किसी का कम पर हम माये उस पल के लिए इंतज़ार करती है |
हम औरते होती ही है ऐसी कुछ, माँ तो हम बच्चे के कोख में आते ही बन जाते है पर उस बच्चे का ९ महीने इंतज़ार करते है | इसके बाद से ही हमारी इंतज़ार करने की एक आदत सी हो जाती है ,अपने बच्चे की पहली मुस्कान,उसके पहले दो दांत , उसका पहली बार चलना , उसका पहली बार हाथ पकड़ना और उसका वो पहली बार माँ बोलना |
ऐसे ही कई बातें है जो माँ बनने के बाद हर रोज़ हम महसूस करते है ,कुछ एहसास तो हम बया कर सकते है पर कुछ एहसास तो दिल में बस गए है जिनको जितना भी बया करो हम समझा नहीं सकते |
मैंने भी हर छोटे छोटे एहसासो को खुशियों की तरह कुछ तस्वीरों में कुछ अपने दिल में बसा रखा है | उस पहले अनमोल पलो किसी भी माँ को किसी भी केलिन्डर की जरुरत नहीं|अपने बच्चो से जुड़े सब दिन अच्छे से याद रहते है |
मुझे भी याद है मैं अपनी बेटी का वीडियो बना रही थी और उससे बातें भी कर रही थी |
जैसे - अरे मेरा बच्चा घुम्मी जायेगा मम्मा के साथ या पापा के बोलो क्या खायेगा बोलो .. मम्मा का बच्चा,ऐसे ही मेरी बेटी भी अपनी ही भाषा में कुछ न कुछ बोल रही थी| मैं बातें करती रही वो भी बोलती रही अचनाक से वो कुछ बोली जो सुनके मैं तो बहुत खुश हो गयी |
मेरी बेटी बोली मम मम ... मानो जैसे मैं यही सुनने का इंतज़ार कर रही थी| मैं बेटी से बार बार बोलती रही बोलो मम्मा मम्मा |
पर बच्चे भी कितने शैतान होते है पूछते रहो तब नहीं बोलते अचनाक से बोलते है |
आज उस बात को ६ साल हो गए है अब मेरी बेटी मुझे मम्मा तो बोलती है उसके साथ कभी मुझे मोम्मी , मम्मी , माय मदर और जाने कितने ही नाम से बुला लेती है | वो नन्ही सी मेरी बेटी अब ६ साल की हो जाएगी |
आप सबके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा - है न ? अगर हाँ तो जरूर कमेंट करे मुझे |
पोस्ट पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया |
आपकी दोस्त
अंजू खुल्बे सक्सेना
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