तूने ही तो यह दुनिया हमे दिखायी ,
अपने अंचल में रख हमे ढूध पिलाया, खुद भूके रेह हमे भरपेट खिलाया ,
कभी तू सरस्वती कभी दुर्गा बन जाती है ,बस अपनी संतान के लिए तू जीती है
खुद दुःखी रेह उसको खुशियाँ देती है ,
हमारी गलतियों को छुपाती है,हमे सचाई से चलना सिखाती है ,
कुछ भी कहे हम वो पूरा करने कि चाह रखती है
क्यों माँ ,क्योकि माँ अपने बच्चो पर जान देती है
माँ सच तू ममता से भरा सागर है ,हाँ माँ तू ममता से भरा सागर है।
Comments
Post a Comment