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पर माँ हम ही क्यों ?

 हर किसी की जिंदगी में बहुत सारे छोटे बड़े पड़ाव जरूर आते है , कुछ पड़ाव हमे याद नहीं रहते और कुछ पड़ाव हमारी जिंदगी बदल देते है।
ऐसी ही एक कहानी है सीमा की , कक्षा नौ में आगयी थी इस साल।  पढ़ाई में भी वो अच्छा कर रही थी हॅसमुख स्वाभाव की थी सीमा। 

उसकी बातें सबका मान मोह लेती थी। 

शरारते भी वो बहुत करती थी इधर से उधर फुदकते ही रहती थी , माँ उसको कितना समझाती की अब बड़ी हो गयी है थोड़ा घर का काम सीख ले या यह उछलना कूदना थोड़ा काम कर पर सीमा किसी की भी नहीं सुनती थी। 

ऐसे ही सीमा के साथ वक़्त भी बढ़ रहा था यह वक़्त वो वक़्त था जब हर लड़की के जीवन में आते है , जब लड़की के शरीर के कुछ अंग में बदलाव आता है। 

ऐसा बदलाव तो उस वक़्त समझना बहुत ही मुश्किल है , या सच कहे तो उस बदलाव को समझाने वाला ही कोई नहीं होता। 
सीमा के शरीर में भी बदलाव आ रहे थे वो अब एक बच्ची से युवा होने जा रही थी। 

पर उसको इस महत्यपूर्ण पड़ाव के बारे में नहीं पता था वो अपने ही शरीर से नफरत करने लगी थी।  सीमा को खुद का ही सीना बढ़ता हुआ दिख रहा था , ऐसा क्यों हो रहा था वो समझ नहीं पा रही थी पर खुद से ही अलग हो रही थी। 


उसके इस बर्ताव का असर सबका दिख रहा था , हमेशा खुश रहने वाली सीमा आज कल चिड़चिड़ी हो गयी थी। 

एक दिन तो उसने गुस्से में अपनी माँ को ही जवाब दे दिया। 

सीमा की माँ समझ गयी थी की कुछ तो हुआ है , सीमा के बर्ताव में बहुत फर्क आ गया है। 

सीमा की माँ ने सोचा इस बारे में सीमा से बात करती हूँ पता तो चले की क्या बात है। 

वो सीमा के कमरे में गयी और बोली - सीमा बेटे क्या हुआ आज कल तुम्हारा मूड बहुत ख़राब रहता है , क्या बात है बताओ शायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकू। 

सीमा ने माँ को देखे बिना ही बोल दिया की कुछ नहीं है सब ठीक है आप जाओ अभी। 

सीमा की माँ समझ गयी की कुछ तो बात है अभी सीमा को वक़्त देती हूँ रात को सोते टाइम बात करूंगी। 

रात हो गयी और सीमा की माँ सीमा के रूम में गयी और सीमा के सर पर हाथ फेरते हुए बोली की जब तू छोटी थी ना तब कोई भी बात होती थी एकदम से बोल देती थी की माँ से क्या छुपाना तो अब क्यों छुपा रही बेटा, मुझे बताओ माँ हूँ तुम्हारी मैं। 

सीमा अचनाक से माँ के गले लग गयी और रोकने लगी, सीमा की माँ भी घबरा गयी की क्या हो गया। 


फिर सीमा बोली की यह मेरे शरीर को क्या हो रहा है मैं पहले की तरह क्यों नहीं हूँ यह बदलाव क्यों ?

यह सुनकर सीमा की माँ हस पड़ी और बोली अरे मेरी छोटी सी बिटिया अब बड़ी हो रही है यह तो जीवन का एक पड़ाव है जो हर लड़की के जीवन में आता है बेटा। 

पर माँ हम ही क्यों ? सीमा ने अपनी माँ से पूछा।
बेटा यह अवस्था सबके जीवन में आती है चाहे वो लड़की हो या लड़का पर हाँ दोनों का अपना अलग बदलाव होते है। 

तुम्हे तो गर्व होना चाहिए की यह तो सृष्टि के हिसाब से नारी को सबसे सुन्दर बनाया गया है। 

अभी तुम्हे यह बदलाव अच्छे नहीं लग रहे क्यूंकि तुम इसकी आदि नहीं हो पर धीरे धीरे तुम समझने लगोगी और फिर अभी तो बहुत से और पड़ाव भी तो आने है। 

यह सुन सीमा बोली मुझे समझ नहीं आया माँ , गलती मेरी है मुझे आज भी आप को एकदम से बता देना था सही बोली आप माँ से क्या छुपाना। 

सीमा की तरह बहुत लोग है जो यह बदलाव समझ नहीं पते कुछ बच्चो के परिवार वाले साथ देते है उनको समझाते है पर कुछ बच्चे ऐसे भी है जो खुद यह बदलाव मान लेते है। 

शारीरिक बदलाव आना आम बात है पर यह जीवन का एक महत्यपूर्ण पड़ाव है। 

Comments

  1. However Shen Kuo did not invent the movable sort but credited it to Bi Sheng in his Dream Pool Essays. The ceramic movable sort was also talked about by Kublai Khan's councilor Yao Shu, who convinced his pupil Yang Gu to print language primers utilizing this technique. The consequences of printing 'incorrect' material were extreme. Meyrowitz used the instance of William Direct CNC Carter who in 1584 printed a pro-Catholic pamphlet in Protestant-dominated England. Local rulers had the authority to grant or revoke licenses to publish Hebrew books, tons of|and plenty of} of those printed throughout this period carry the phrases 'con licenza de superiori' on their title pages. Laser printing primarily used in offices and for transactional printing .

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