Skip to main content

पंद्रह साल पहले का ब्लाउज...!!!

 सुनो क्यों न फिर से पंद्रह साल पहले की तरह इस बार अपनी एनिवर्सरी मनाये, उस समय के संगीत से आज की महफ़िल सजाये - मैंने पूछा

 पति देव ने मुस्कराते हुए बोला- अरे वाह नेकी और पूछ,हाँ हाँ पुरानी यादें भी ताज़ा हो जाएँगी। 

ठीक है मैं भी तैयारी करती हूँ सब कुछ की लिस्ट बना लेती हूँ और दोस्तों को भी इनविटेशन भेज देती हूँ - मैंने बोला।

 हाँ ठीक है मुझे भी भी बता देना की क्या क्या करना है मैं सारा सामान ले आऊंगा - पति देव ने कहा।

 मैं बोली ठीक है। और अपने काम में लग गयी। 

तभी बहार जाते हुए पति देव ने बड़े प्यार से बोले - सुनो जो साड़ी मैंने तुम्हे गिफ्ट की थी पहेली एनिवर्सरी पर वही पहनना । 

मैंने भी बोल दिया हाँ ठीक है। 

जल्दी में यह भूल ही गयी की वो साड़ी वह गिफ्ट तो पंद्रह साल पहले मिला था अब तो मैं बहुत मोटी हो गयी हूँ, और इतने टाइम से वो साड़ी पहनी ही नहीं है । 

सोचा एक बार क्यों न चेक कर लू (हम मोटे हो भी जाते है पर हमे लगता नहीं है ) साड़ी का क्या है वो तो सदाबहार होती है किसी को भी आजाती है असली तो ब्लाउज होता है। 

तो अब आयी बारी ब्लाउज चेक करने की- रे बाबा वो तो हाथ से भी नहीं चढ़ा , पहनना तो दूर की बात है। शाम हो चुकी थी अभी अगर किसी टेलर को भी देती तो वो भी टाइम तो लगा ही देता। 

पति देव को बोल तो दिया था तो कुछ तो करना ही था ,ब्लाउज के साइड मैं थोड़ा औषद छोड़ा था शायद ऐसा बहुत सी औरते करती होंगी जिससे बाद में वो ब्लाउज थोड़ा बड़ा कर सके। मेरी मम्मी ने भी ऐसा ही किया था मेरे ब्लाउज के लिए। 

पहले मैंने सोचा सामान और मेहमानो की लिस्ट बना लू, सब काम करने के बाद मैं लग गयी ब्लाउज को थोड़ा खोलने में। 

औषद देख मैं बहुत खुश थी वाह ब्लाउज का काम हो जायेगा। 

पर नहीं जी उस ब्लाउज का कपडा था पूरा बारीक़ और कड़ा हुआ जितना मैंने अंदर से सिलाई खोली बहार से उसकी उतनी ही बुरी हालत हर जगा  छेद ही छेद। 

अब ब्लाउज तो पहनना मुश्किल था सोचा इनको बता दू , पर लगा कल तक देखती हूँ फिर भी दिल नहीं माना घुमा फिरा कर मैंने पूछा यह तोह बताओ तुम क्या पहनने वाले हो ?

पति देव बोले की तुम ही तो मेरे सारे कपडे लाती हो देख लेना मैं तो कुछ भी पहनलू। 

पार्टी का दिन भी आ गया , मैंने भी दिन तक अपने ब्लाउज का जुगाड़ कर ही लिया वही ब्लाउज तो नहीं पर साड़ी के कलर के मैचिंग का दूसरा ब्लाउज पहन लिया बस यही सोच रही थी की कही ये कुछ बोले ना - आखिर पति देव ने अपनी इच्छा मेरे सामने रखी थी। 

शाम को सब रेडी था मैं जैसे ही अपने पति देव के सामने आयी वो बहुत मुझे देख बहुत खुश हुए और बोले सुन्दर लग रही हो। अच्छा लगा यह सुनकर मुझे , वैसे भी अपनी तारीफ सुनना किसको अच्छा नहीं लगता। 

फिर भी मैं उनसे बार बार पूछ रही थी सही लगी ना बोलो सही लगी ,वो बोलते रहे हाँ खूब लग रही हो। 

पार्टी ख़तम होने के बाद पति देव ने पूछा की आज तुम इतनी बार अपने ठीक होने के बारे में कुछ पूछ रही थी, कुछ बात है क्या ?

मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने सब बता दिया। 

हा हा हा क्या यह बात थी मुझे तो सही बताऊ पता  भी नहीं चला की यह वो ब्लाउज नहीं है - पति देव बोले। 

फिर बोले हमारे लिए हमारा साथ और प्यार होना जरुरी है बाकि तो सब बन जाता है। 

वैसे कुछ भी कहो इतने सालो में मैंने तुम्हे तंदुरुस्त तो बना ही दिया है क्यों क्या कहती हो - और मुस्कुराने लगे। 

हम औरते थोड़ा इमोशनल होती है , अब पंद्रह साल पहले का ब्लाउज नहीं भी आया तो क्या हुआ पंद्रह साल से पति पत्नी का प्यार तो बरकरार है।

Comments

Popular posts from this blog

दिल से यह दिलवाली दिवाली मनाये #येदिवालीदिलवाली

 जगमगाती रौशनी , वो धूम धराके की आवाज  आया देखो दीपों का  त्यौहार ।  ऐसा  त्यौहार  जिसमे सब एक होकर घर को सजाते है  ऐसा  त्यौहार  जिसमे सब मिल पटाको का धमाल मचाते है  माना यह दिवाली हर साल से थोड़ा अलग है  अपने दूर है, पर साथ है। जो आस पास है उनके साथ खुशियाँ बाँटे  इस बार दिवाली की रौशनी को मुस्कुराहत के साथ जगमगाये।  हमेशा की तरह दिल से यह दिलवाली दिवाली मनाये। 

Paper Diya ....Easy way to decorate your home walls :)

 

नववर्ष की हार्दिक बधाई || Happy New Year

 काश यह दिल फिर से बच्चा बन जाये , न किसी से नाराज न किसी की बात दिल से लगाए | बचपन की तरह हर बात पर चुलबुलाये | कुछ बड़ा बनने के सपने सजाये , हर साल की तरह आने वाले साल भी हम सब मुस्कुराये |